रतिया में नशे से दो दिन में तीसरी मौत
क्यों मौन रहें हम, क्यों जुल्म सहें हम, आओ, मिलकर सब लड़ें हम.
ये जो नशा तस्करों के रूप में हमारे बीच भेड़िए घूम रहे हैं, अब उनके खिलाफ खड़ा होने का समय आ गया है। अगर हम कुंभकर्ण की नींद सोते रहे तो ये भेड़िए हमारे बच्चों को युहीं नोचते रहेंगे, खाते रहेंगे, हमारे घरों के चिराग बुझाते रहेंगे।
अब और नहीं!
आइए, हम सब मिलकर कसम खाएं, हम अपने रतिया को नशा मुक्त बनाएंगे, इन भेड़ियों को अपने इलाके से खदेड़ेंगे और आने वाली पीढ़ी के भविष्य सुरक्षित रखेंगे।